भारत... भारत में जितने रंग है, उतने ही प्रकार के खेल भी हैं। भारत ने कई सारे खेलों को जन्म भी दिया है, ऐसे में भारत ने खेल जगत को एक नया धर्म भी दिया... जिसे हम क्रिकेट कहते हैं। बिल्कुल, भारत में क्रिकेट एक धर्म है और इस धर्म को हर भारतीय ने बच्चपन में तो खेला ही है। इतना ही नहीं, अक्सर ये भी देखने को मिला है कि जब भारतीय टीम का किसी के साथ कोई खास मैच होता है, या फिर कहें अगर भारतीय क्रिकेट टीम का पाकिस्तान के साथ मैच होता है तो भारत में उस दिन लोग ऑफिस से छूट्टियां तक ले लेते हैं, ताकि वो क्रिकेट मैच का आंनद ले सकें। बल्की यहां तक कि भारतीय क्रिकेट टीम के विजय रथ के लिए मंदिरों में पूजा और व्रत तक रखे जाते हैं।
जिस
तरह भारत में क्रिकेट को महत्व दिया जाता है उसे देखने से कभी-कभी ऐसा लगता है कि
क्रिकेट कोई खेल नहीं, बल्कि क्रिकेट एक रणक्षेत्र है। अगर
आपको ऐसा नहीं लगता है तो आप किसी भी मीडिया चैनल को खोलकर देख लें, जिस वक्त वे सारे खेल जगत की बात करते
हैं, उसमें सबसे ज्यादा शो क्रिकेट के उपर
होते हैं। यहां तक की वे दूसरे खेलों में भी क्रिकेट के ही उदाहरण दे देते हैं।
जिसे देखने से साफ लगता है कि भारत में क्रिकेट कोई खेल नहीं बल्कि एक धर्म है।
‘क्रिकेट धर्म है या फिर कोई व्यवसाय’ अगर आप ये कहते हैं कि क्रिकेट एक खेल है तो IPL क्या है। क्या IPL कोई
व्यवसाय नहीं... अगर नहीं, तो IPL में मैच फिक्सिंग
कैसे होती है। जिसके चलते IPL की दो टीम चैन्नई सुपर किंग और राजस्थान रॉयल को
सुप्रीम कोर्ट ने मैच फिक्सिंग में दो साल के लिए बैन कर दिया था। लेकिन फिर भी लोगों
का क्रिकेट के प्रति प्यार कम नहीं हुआ। लोग आज भी क्रिकेट से उतना ही प्यार करते
हैं। फिर चाहे क्रिकेट में कितनी भी बुराईयां जन्म ले ले। बल्कि आज के समय में
माता-पिता खुद अपने बच्चों स्पोर्ट्स की ओर झुका रहे हैं। ताकि आगे जाकर उनके
बच्चे देश के लिए खेल सके और अपने भविष्य को उज्जवल कर सकें। जिसके लिए माता-पिता
बचपन से ही अपने बच्चों को स्पोर्ट्स सिखाना शुरु कर देते हैं। बल्कि कुछ
माता-पिता तो अपने बच्चों के लिए स्कूल भी ऐसा चुनते है जिसमें स्पोर्ट को ज्यादा
तबज्जों दी जाती हो। ताकि उनके बच्चे बचपन से ही स्पोर्ट में दिलचस्पी लेना शुरु
कर दें। और बड़े होकर खिलाड़ी बन सकें।
वहीं अगर हम देखें
कि पिछले कुछ सालों से भारत का स्पोर्ट जगत में काफी अच्छा प्रदर्शन रहा है। तो यह
कहना गलत नहीं होगा कि भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स से
काफी कुछ सीखा है। जिस तरह से कॉमनवेल्थ गेम्स में
भारतीय खिलाड़ियों ने कई रिकॉर्ड बनाए उसी तरह से कई खिलाड़ियों ने कॉमनवेल्थ गेम्स
से हार का स्वाद भी चखा था, जिसके बाद उन्होंने अपनी कमर को कसा और कड़ी मेहनत की।
ताकि आने वाले गेम्स में वे भारत का नाम रोशन कर सकें।
इसी कड़ी में अगर आप
भारत का प्रदर्शन जकार्ता एशियन गेम्स में देखें तो आपको पता चल जाएगा कि किस तरह
से भारत में खेल का एक नया युग शुरु हो चुका है। हालही में संपन्न हुए जकार्ता
एशियन गेम्स में भारत ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और कुल 69 मेडलों पर अपना दावा
जड़ दिया।
जकार्ता एशियन गेम्स
में भारत आठवें स्थान पर रहा। जबकि, चीन पहले स्थान पर और जपान दूसरे स्थान पर
रहा।
S.NO |
Country |
Gold |
Silver |
Bronze |
01 |
China |
132 |
92 |
65 |
02 |
Japan |
75 |
56 |
74 |
03 |
Korea, Republic Of |
49 |
58 |
70 |
04 |
Indonesia |
31 |
24 |
43 |
05 |
Uzbekistan |
21 |
24 |
25 |
06 |
Iran, Islamic Republic of |
20 |
20 |
22 |
07 |
Chinese Taipei |
17 |
19 |
31 |
08 |
India |
15 |
24 |
30 |
18वें
एशियाई खेलों में भारत के खिलाड़ियों ने जोरदार प्रदर्शन के जरिये बड़ी उपलब्धि
हासिल कर ली. जकार्ता-पालेमबांग एशियन गेम्स में भारत ने अब तक 69 पदक जीतकर
एशियाड में सर्वाधिक मेडल जीतने का रिकॉर्ड बना डाला है. यह पहला मौका है, जब भारत ने एशियाई खेलों में इतने पदक
जीते हैं. साथ ही भारत ने ये भी साबित कर दिया है कि अब भारत में खेल धर्म का
बिगुल बज चुका है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
Please do not enter any spam link in the comment box.